कर्मा, कर्ता और हर्ता — तीनों ही जीवन के अभिन्न पहलू हैं। इनका व्यवहार और संतुलन मानव जीवन को दिशा देते हैं। जो अपने कार्यों को समझदारी से निभाते हैं, वही सच्चे कर्ता कहलाते हैं, और उनके कर्म सृष्टि को पोषण प्रदान करते हैं।